अब बच्चे फेल भी हो सकेंगे : आरटीई 2009 में हुआ है संशोधन
शिक्षा मंत्रालय ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के विषय में अधिसूचना जारी कर पांचवीं और आठवीं की परीक्षा को नए नियम जारी किए हैं इसके अनुसारअब विद्यार्थी पांचवीं और आठवीं में भी फेल हो सकेंगे
नियमित
परीक्षा में अगर कोई विद्यार्थी असफल रहता है तो उसे दो महीने में फिर से परीक्षा
देने का मौका मिलेगा। इसके बाद भी वह असफल रहा तो वह अगली कक्षा में नहीं जा
पाएगा। शिक्षा मंत्रालय निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार (संशोधन) नियम 2009 की धारा 38 निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार
नियम 2010 में संशोधन किया गया है। यह नियम निशुल्क और
अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार संशोधन नियम 2024 कहलाएंगे।
क्या थी नो डिटेंशन पालिसी (No Detention Policy)
§ शिक्षा का
अधिकार के प्रावधान के अनुसार, छात्रों को 8वीं
कक्षा तक फेल होने के बाद भी अगली कक्षा में प्रवेश दे दिया जाता है, इसे ही 'नो डिटेंशन पॉलिसी' के
नाम से जानते हैं।
§ नो डिटेंशन
पॉलिसी, शिक्षा के अधिकार अधिनियम (2009) का अहम हिस्सा है। इस अधिनियम में प्रावधान है कि बच्चों को आठवीं तक किसी
भी कक्षा में फेल होने पर उसी कक्षा में पुनः पढ़ने के लिये बाध्य न किया जाए;
अगर किसी छात्र के प्राप्तांक कम हैं तो उसे पासिंग ग्रेड देकर अगली
कक्षा में भेज दिया जाए।
§ इस पॉलिसी का
मुख्य उद्देश्य यह था कि छात्रों की सफलता का मूल्यांकन केवल उनके द्वारा परीक्षा
में प्राप्त अंकों के आधार पर न किया जाए बल्कि इसमें उनके सर्वांगीण विकास को
ध्यान में रखा जाए।
§ किंतु, इसके लागू होने के कुछ ही वर्षों में यह शिकायत मिलने लगी कि बच्चो में उस
कक्षा के स्तर की अपेक्षित जानकारी नहीं है जिस कारण उनके सीखने के स्तर में
लगातार गिरावट आ रही है। ऐसा माना जा रहा था कि इस पॉलिसी के लागू होने से छात्र
और अभिभावक दोनों सुस्त हो गए थे, जिससे सीखने और सिखाने की
प्रक्रिया में गिरावट आई।
क्या किया
गया संशोधन:
शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009
में भाग 5 के प्रावधान में 5 (क) जोडा गया है
भाग 5 क- कतिपय मामलों में परीक्षा और रोका जाना
16 क. रीति और
शर्तें जिनके अध्यधीन किसी बालक को रोका जा सकता है-
- (1) प्रत्येक शैक्षणिक वर्ग के अंत पर
पांचवीं कक्षा और आठवीं कक्षा में नियमित परीक्षा होगी
- (2) उप-नियम (1) में
निर्दिष्ट, नियमित परीक्षा के संचालन के पश्चात्,
यदि कोई बालक समय-समय पर यथा अधिसूचित, प्रोव्रति
मानदण्ड को पूरा करने में असफल रहता है, तो उसे परिणाम
घोषित होने की तारीख से दो मास की अवधि के भीतर पुनः परीक्षा के लिए अतिरिक्त
अनुदेश तथा अवसर दिया जाएगा।
- (3) यदि उप-नियम (2) में निर्दिष्ट पुनः परीक्षा में उपस्थित होने वाला बालक, प्रोन्नति के मानदण्ड को पूरा करने में पुनः असफल रहता है, यतास्थिति, पांचवीं कक्षा या आठवीं कक्षा में
रोक दिया जाएगा।
- (4) बालक को रोके रखने के दौरान,
कक्षा शिक्षक बालक के साथ-साथ, यदि आवश्यक
हो तो, बालक के माता-पिता का भी मार्गदर्शन करेगा तथा
निर्धारण के विभिन्न चरणों पर अधिगम के अंतरालों की पहचान करने के पश्चात्
विशेषज्ञीय इनपुट प्रदान करेगा।
- (5) स्कूल का प्रमुख उन बालकों की सूची
बनाएगा जो रोके गए हैं तथा ऐसे बालकों को विशेषज्ञीय इनपुट के लिए प्रदान किए
गए उपबंधों तथा पहचाने गए अधिगम के अंतरालों के संबंध में उनकी प्रगति पर
व्यक्तिगत रूप से मॉनीटरी करेगा।
- (6) बालक के समग्र विकास को पाने के लिए
परीक्षा और पुनः परीक्षा सक्षमता-आधारित परीक्षाएं होंगी तथा न कि याद करने
और प्रक्रियात्मक कौशल पर आधारित होंगी।
- (7) किसी भी बालक को तब तक किसी स्कूल से नहीं निकाला जाएगा जब तक वह प्रारंभिक शिक्षा पूरी नहीं कर लेता।”
आरटीई
अधिनियम, 2009 के तहत, प्रारंभ
में यह प्रावधान किया गया था कि कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों को नो डिटेंशन पॉलिसी (No Detention Policy) के तहत बिना फेल किए अगली कक्षा में प्रोन्नत किया जाएगा। इसका उद्देश्य
यह था कि सभी बच्चों को स्कूल में बने रहने और अनिवार्य शिक्षा का लाभ मिले।
समस्या:
नो डिटेंशन
पॉलिसी के कारण शिक्षा की गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे। शिक्षकों और विशेषज्ञों का
मानना था कि बच्चों की सीखने की प्रक्रिया में सुधार के बजाय यह नीति अकादमिक
प्रदर्शन को प्रभावित कर रही थी। छात्रों को अगली कक्षा में प्रमोट तो किया जा रहा
था, लेकिन उनकी मूलभूत शिक्षा (पढ़ाई, लिखाई, गणित) कमजोर रह जा रही थी।
संशोधन:
विधेयक की
विशेषताएँ
§ निःशुल्क और
अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम, 2009 प्राथमिक
शिक्षा पूरी होने तक बच्चों को पिछली कक्षा में रोकने यानी डिटेंशन को प्रतिबंधित
करता है। लेकिन यह विधेयक इस प्रावधान में संशोधन करता है और कहता है कि कक्षा 5
तथा कक्षा 8 में प्रत्येक शैक्षणिक वर्ष के
अंत में नियमित परीक्षा संचालित की जाएगी। अगर विद्यार्थी परीक्षा पास करने में
असफल हो जाता है तो उसे अतिरिक्त शिक्षण दिया जाएगा और दोबारा परीक्षा ली जाएगी।
§ अगर
विद्यार्थी दोबारा असफल हो जाता है तो संबंधित केंद्र या राज्य सरकार का स्कूल
बच्चे को पिछली कक्षा में रोकने यानी डिटेंशन की अनुमति दे सकता है।
1. आरटीई अधिनियम
का संशोधन (2019):
आरटीई
अधिनियम में 2019 में संशोधन किया गया, जिसमें यह प्रावधान जोड़ा गया कि राज्यों को यह अधिकार होगा कि वे कक्षा 5
और 8 में वार्षिक परीक्षा आयोजित कर सकते हैं।
यदि छात्र
परीक्षा में असफल हो जाते हैं, तो उन्हें सुधार परीक्षा (re-examination)
देने का अवसर मिलेगा।
यदि छात्र
सुधार परीक्षा में भी असफल हो जाते हैं, तो उन्हें फेल
किया जा सकता है।
2. राज्यों को
छूट:
राज्यों को
यह अधिकार दिया गया कि वे अपनी आवश्यकताओं के अनुसार इस नीति को लागू करें। कुछ
राज्यों ने नो डिटेंशन पॉलिसी को पूरी तरह से खत्म कर दिया, जबकि कुछ ने इसे आंशिक रूप से जारी रखा।
वर्तमान
स्थिति:
अब राज्यों
में 5वीं और 8वीं की
परीक्षाएं अनिवार्य हैं, और प्रदर्शन के आधार पर छात्रों को
प्रमोट या डिटेंशन (फेल) का निर्णय किया जाता है।
RTE संशोधन
अधिनियम 2024 के तहत् अब विद्यार्थियों को पांचवीं और आठवीं
कक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए दो अवसर दिए जाने का प्रावधान किया गया है फिर भी
वह अनुत्तीर्ण होता है तो वह उसी कक्षा में अध्ययनरत रहेगा।
यह कदम शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए लिया गया था।
संशोधन को राजपत्र
में प्रकाशित किया गया है जिसका लिंक नीचे दिया जा रहा है
https://t.me/zeroperiod17/5857
FAQ-
प्र- क्या
अब बच्चे फेल भी होंगे
उ. – हां कक्षा
पांचवीं और आठवीं में यह संभव होगा
प्र. क्या वार्षिक
परीक्षा के बाद पूरक परीक्षा का प्रावधान भीसमाप्त कर दिया गया है
उ- नहीं ,
पूरक परीक्षा में असफल हो जाने पर ही फेल किया जाएगा
प्र. क्या
इसे सभी बोर्ड में लागू किया गया है
उ- हां
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